हमारा व्यक्तित्व और अस्तित्व समाज से निर्मित और अभिन्न रूप से जुड़ा होता है। हमारी भाषा, संस्कृति, रहन-सहन, सोच-विचार और पूरी जीवनशैली उन पुरखों की देन है, जिन्होंने इस ग्रह पर पहले-पहल रहना सीखा। इसलिए हम भी जो जानते हैं, और जो सीख रहे हैं, उसे समाज के साथ साझा करना चाहिए। खासकर उन लोगों से, जिन्हें इसकी सख्त जरूरत है।
इसके लिए आपको बस अपनी इच्छा जाहिर करनी है और हमसे संपर्क करना है।
अगर आप स्वयंसेवी के रूप में जुड़ना चाहते हैं तो आपको कोई मानदेय नहीं मिलेगा। हां, आपके रहने और खाने की व्यवस्था फाउंडेशन की होगी।
जी हां। अपने बायोडाटा के साथ संपर्क कीजिए।