जोहार। आदिवासी साहित्य का विस्तार जरूरी है। इसी से आदिवासियों का रचनात्मक संघर्ष सामने आएगा और हम आदिवासियत को मजबूत कर सकेंगे। जल जंगल जमीन के जमीनी संघर्ष को मजबूती दे सकेंगे। इसके लिए इस आदिवासी दिवस के मौके पर हम उन आदिवासी रचनाकारों को अवसर देना चाहते हैं जो लिख रहे हैं या लिखना चाह रहे हैं। पर उन्हें प्रकाशक नहीं मिलते हैं। प्रकाशक मिलते भी हैं तो मुफ्त में किताबें लेते हैं, कुछ तो छापने के भी पैसे लेते हैं, लेकिन दो-चार किताबें पकड़ाकर और रॉयल्टी का आवश्वासन देकर लेखक/लेखिका को टरका देते हैं। जो नौकरीशुदा आदिवासी रचनाकार हैं उन्हें तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता पर जो नये हैं उनके लिए लेखन से चाय-पानी का पैसा भी जुगाड़ नहीं हो पाता। इसलिए हम यह पुरस्कार की योजना लेकर आए हैं। जिसमें किसी भी उम्र के नये/पुराने आदिवासी रचनाकार भाग ले सकते हैं। अगर आपके पास मौलिक पांडुलिपि तैयार है या 20 अगस्त तक तैयार कर सकते हैं तो अपना सबमिशन कीजिए।
अगर आप किसी भी भारतीय आदिवासी समुदाय से हैं और कुछ लिखना चाहते हैं या अपना लिखा हुआ छपाना चाहते हैं या फिर ऐसे किसी को जानते हैं जिनका लिखा हुआ नहीं छप पाया है (कविता, कहानी, नाटक, उपन्यास, निबंध आदि) चाहे किसी भी आदिवासी/अंग्रेजी/अन्य भारतीय भाषा और किसी भी लिपि में हो तो यह अवार्ड आपके लिए है.
- पुस्तक के रूप में प्रकाशित होने का अवसर. - सफल रचनाकार को पुस्तक की निःशुल्क 50 प्रतियां. - प्रकाशित पुस्तक पर 10 प्रतिशत सालाना रॉयल्टी. - सम्मान समारोह में 100 पुस्तकों की नकद रॉयल्टी एडवांस में.
- पांडुलिपि 80 से 100 पेज के बीच मौलिक और अप्रकाशित होनी चाहिए. - फॉन्ट साइज 13 से अधिक नहीं हो और पांडुलिपि ए5 साइज में हो. - पांडुलिपि वर्ड और पीडीएफ दोनों फॉर्मेट में जमा करना जरूरी है. - पांडुलिपि यदि हिंदी के अलावा अंग्रेजी अथवा अन्य भारतीय या आदिवासी भाषा में है तो उसका सार-संक्षेप हिंदी में भेजना अनिवार्य है. - अपना हाई रिजोल्यूशन फोटो और बायोडाटा भी जरूर संलग्न करें. - इस पुरस्कार योजना में किसी भी उम्र के आदिवासी भाग ले सकेंगे. प्यारा केरकेट्टा फाउंडेशन द्वारा गठित निर्णायक मंडल का निर्णय अंतिम होगा.
2023 के अवार्ड के लिए रजिस्ट्रेशन और पांडुलिपि सबमिशन की घोषणा जून के पहले सप्ताह में की जाएगी. तब तक अपनी तैयारी जारी रखिए.