10 और 11 जून 2023 को भादरवा, डोडा (जम्मू और कश्मीर) में
आदिवासी दर्शन, साहित्य, संस्कृति, इतिहास, संवैधानिक लोकतंत्र और राजनीति पर केंद्रित तीन दिवसीय आवासीय कार्यशाला
कार्यक्रम देखें | सिर्फ 15 लोगों के लिए | आवेदन करें | अंतिम तिथि : 25 नवंबर 2019
Closeसामुदायिक सांस्कृतिक पहल
आदिवासी संस्कृति और भाषाओं के सवाल को प्यारा केरकेट्टा फाउंडेशन ने बहुत गंभीरता से लिया है। आदिवासी एवं देशज भाषाओं और साहित्य-संस्कृति के संरक्षण, संवर्धन और विकास के लिए फाउंडेशन ने तेलेंगा खड़िया भाषा एवं संस्कृति केंद्र की स्थापना की है।
नई पीढ़ी के लिए ज्ञान-परंपरा
सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा, सामाजिक पुनर्गठन और भाषाई अस्मिता का सवाल झारखंड के और देशज समुदायों की मूल समस्या है। इसलिए, फाउंडेशन आदिवासी एवं देशज भाषाओं, कला और आदिवासियत की ज्ञान परंपरा को नई पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए प्रयासरत है।
आदिवासी ज्ञान परंपरा का डिजिटाइजेशन
वाचिक आदिवासी ज्ञान परंपरा दुनिया की अमोल धरोहर हैं। इस ग्रह और जीवन के ज्ञान और अनुभवों को आदिवासी समुदाय ने अपनी भाषाओं, गीतों, कहानियों और कला-कारीगरी के अनेक रूपों में अभी तक संजो रखा है। आदिवासी ज्ञान के सभी रूपों के डिजिटाइजेशन में फाउंडेशन प्रतिबद्धता से संलग्न है।
पत्र-पत्रिकाएं, पुस्तकें
और ऑडियो विजुअल निर्माण
आदिवासी भाषाओं, साहित्य, कला और ज्ञान के के सभी रूपों के संरक्षण एवं प्रसार के लिए फाउंडेशन नियमित रूप से पत्र-पत्रिकाएं, किताबें, ऑडियो-विजुअल प्रस्तुतियां, ग्राफिक्स, वृत्तचित्रों और फिल्मों का निर्माण करती है। हिंदी एवं अंग्रेजी सहित झारखंड की सभी देशज व आदिवासी भाषाओं में।