Pyara Kerketta Foundation

सामुदायिक सांस्कृतिक पहल 
आदिवासी संस्कृति और भाषाओं के सवाल को प्यारा केरकेट्टा फाउंडेशन ने बहुत गंभीरता से लिया है। आदिवासी एवं देशज भाषाओं और साहित्य-संस्कृति के संरक्षण, संवर्धन और विकास के लिए फाउंडेशन ने तेलेंगा खड़िया भाषा एवं संस्कृति केंद्र की स्थापना की है।

PKF

नई पीढ़ी के लिए ज्ञान-परंपरा
सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा, सामाजिक पुनर्गठन और भाषाई अस्मिता का सवाल झारखंड के और देशज समुदायों की मूल समस्या है। इसलिए, फाउंडेशन आदिवासी एवं देशज भाषाओं, कला और आदिवासियत की ज्ञान परंपरा को नई पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए प्रयासरत है।

आदिवासी ज्ञान परंपरा का डिजिटाइजेशन 
वाचिक आदिवासी ज्ञान परंपरा दुनिया की अमोल धरोहर हैं। इस ग्रह और जीवन के ज्ञान और अनुभवों को आदिवासी समुदाय ने अपनी भाषाओं, गीतों, कहानियों और कला-कारीगरी के अनेक रूपों में अभी तक संजो रखा है। आदिवासी ज्ञान के सभी रूपों के डिजिटाइजेशन में फाउंडेशन प्रतिबद्धता से संलग्न है।

PKF

पत्र-पत्रिकाएं, पुस्तकें
और ऑडियो विजुअल निर्माण
आदिवासी भाषाओं, साहित्य, कला और ज्ञान के के सभी रूपों के संरक्षण एवं प्रसार के लिए फाउंडेशन नियमित रूप से पत्र-पत्रिकाएं, किताबें, ऑडियो-विजुअल प्रस्तुतियां, ग्राफिक्स, वृत्तचित्रों और फिल्मों का निर्माण करती है। हिंदी एवं अंग्रेजी सहित झारखंड की सभी देशज व आदिवासी भाषाओं में।

Adivasi Wisdom

आदिवासी दर्शन

गैर-आदिवासी ज्ञान और समाज व्यक्तिवाद की धारणा पर आधारित है। आदिवासी दर्शन बुनियादी रूप से इससे भिन्न है। आदिवासी विश्वदृष्टिकोण में प्रत्येक व्यक्ति सबसे पहले अपने समुदाय की महत्वपूर्ण इकाई है, और प्राथमिक तौर पर वह प्रकृति का एक अनिवार्य तत्त्व है।

Adivasi Languages

आदिवासी भाषाएं

आंतरिक उपनिवेशवाद का शिकार होने के नाते, आदिवासी भाषाएं पहचान के संकट के दौर से गुजर रही हैं। असल में सांस्कृतिक पहचान और आदिवासी समाज के अस्तित्व का सवाल भाषाओं के संरक्षण और संवर्द्धन के साथ गहराई से जुड़ा हुआ है।

Adivasi Literature

आदिवासी साहित्य

आदिवासियों के वाचिक और लिखित साहित्य के लिए यदि आप ‘आदिवासी साहित्य’ के लेबल का उपयोग करना चाहते हैं, तो यह सिर्फ प्रकृति आधारित धार्मिक विश्वासों, उनके इतिहास और कल्पनाओं का कहन भर नहीं है; बल्कि इसके केंद्र में आदिवासी होने का अर्थ निहित है।