Pyara Kerketta Foundation

आदिवासी समुदाय

हम थे, हम हैं, और हम रहेंगे ही

आदिवासी शब्द दो शब्दों आदि और वासी से मिल कर बना है और इसका अर्थ मूल निवासी होता है। भारत में आदिवासियों की जनसंख्या का 8.6 प्रतिशत (10 करोड़) है। हिंदू धार्मिक ग्रंथों, संस्कृत शास्त्रों और पुरातन लेखों में आदिवासियों को असुर, राक्षस, जंगली, वनवासी जैसे नस्लीय संबोधनों का प्रयोग हुआ है। संविधान में आदिवासियों को अनुसूचित जनजाति कहा गया है। भारत के प्रमुख आदिवासी समुदायों में भील, गोंड, संताल, मुंडा, खड़िया, हो, बोडो, खासी, नागा, मिजो, सहरिया, गरासिया, मीणा, उरांव, असुर, बिरहोर, पहाड़िया, बैगा, मारिया, कोंध, कोटा, बगादा, टोडा, कुरूंबा, कादर, चेंचु, ग्रेट अंडमानी आदि हैं।

भारत में 461 आदिवासी समुदाय हैं, जो परंपरागत रूप से भारत के सात भौगोलिक क्षेत्रों में निवास करते हैं-  1. उत्तरी क्षेत्र (जम्मू-कश्मीर, उत्तरांचल, हिमाचल प्रदेश), 2. पूर्वाेत्तर क्षेत्र (पश्चिम बंगाल का दार्जिलिंग, सिक्किम, अरूणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, त्रिपुरा, मिजोरम), 3. पूर्वी क्षेत्र (उड़ीसा, झारखण्ड, बिहार, पश्चिम बंगाल), 4. मध्य क्षेत्र (मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़), 5. पश्चिमी क्षेत्र (गुजरात, राजस्थान, पश्चिमी मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र), 6. दक्षिण क्षेत्र (केरल, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना) और 
7. द्विपीय क्षेत्र (अंडमान-निकोबार)।  उत्तरी और पूर्वाेत्तर क्षेत्रों के आदिवासियों में अधिकांश मंगोलाइड नस्ल के हैं। पूर्वी, मध्य और पश्चिमी क्षेत्र के आदिवासी समुदाय प्रोटो ऑस्टेलाइड प्रजाति से संबधित हैं, जबकि दक्षिण और द्विपीय क्षेत्र के आदिवासी लोग नीग्रिटो मूल के माने जाते हैं।

भारत में सभी आदिवासी समुदायों की अपनी विशिष्ट भाषा है। भाषाविज्ञानियों ने भारत की आदिवासी भाषाओं को तीन भाषा परिवारों में रखा है- द्रविड़, आस्ट्रिक और चीनी-तिब्बती। लेकिन कुछ आदिवासी भाषाएं भारोपीय भाषा परिवार के अंतर्गत भी आती हैं। भारत की 114 मुख्य भाषाओं में से जिन 24 भाषाओं को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया है उनमें से संताली और बोड़ो ही मात्र दो आदिवासी भाषाएं हैं। जबकि भीली (0.67), गोंडी (0.25), टुलु (0.19) और कुड़ुख 0.17 प्रतिशत लोगों द्वारा व्यवहार में लाए जाने के बाद भी आठवीं अनुसूची में दर्ज नहीं की गयी हैं (जनगणना 2001)। भारतीय राज्यों में एकमात्र झारखण्ड में ही 5 आदिवासी भाषाओं - संताली, मुण्डारी, हो, कुड़ुख और खड़िया को 2011 में द्वितीय राज्यभाषा का दर्जा प्रदान किया गया है।

आदिवासी प्रकृति पूजक हैं और जंगल, पहाड़, नदियों एवं सूर्य की आराधना करते हैं। आधुनिक काल में जबरन बाह्य संपर्क में आने के फलस्वरूप इन्होंने हिंदू, ईसाई एवं इस्लाम धर्म को भी अपनाया है। अंग्रेजी राज के दौरान बड़ी संख्या में ये ईसाई बने तो आजादी के बाद इनके हिंदूकरण का प्रयास तेजी से हुआ है। परंतु आज ये अपने लिए अलग धार्मिक कोड की मांग कर रहे हैं।

भारत के संविधान में आदिवासी दो वर्गों में अधिसूचित हैं- अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित आदिम जनजाति। संविधान में अनुसूचित जनजातियों से संबंधित कई प्रावधान हैं। सुरक्षात्मक एवं विकासात्मक। सुरक्षा संबंधी प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 15(4), 16(4), 19(5), 23, 29, 46, 164, 330, 332, 334, 335 व 338, 339(1), 371(क) (ख) व (ग), पांचवी सूची व छठी सूची में निहित हैं। जबकि विकास से संबंधित प्रावधान मुख्य रूप से अनुच्छेद 275(1) प्रथम उपबंध तथा 339 (2) में निहित हैं।