Pyara Kerketta Foundation

झारखंड महिला आलेखन, संसाधन और मीडिया वॉच केंद्र

झारखंडी महिलाओं के विभिन्न मुद्दों, अधिकारों और समाज एवं मीडिया में महिलाओं की छवि एवं भागीदारी के आलोचनात्मक अध्ययन-आलेखन के लिए प्रयासरत

Adivasi Women and Media

यह झारखंड के महिलाओं, विशेषकर आदिवासी महिलाओं के विभिन्न मुद्दों और उनके अधिकारों के लिए काम करता है। इसके साथ ही यह केन्द्र समाज एवं मीडिया में महिलाओं की छवि का आलोचनात्मक अध्ययन एवं उसका आलेखन करती है। इस इकाई की स्थापना 2006 में प्यारा केरकेट्टा फाउन्डेशन ने झारखंडी महिलाओं के संघर्ष, योगदान और समस्याओं को जानने समझने के लिये की है। यह केन्द्र झारखंड आन्दोलन में महिलाओं की भूमिका, नवगठित झारखंड में विभिन्न सवालों एवं मुद्दों पर चल रहे संघर्षों में महिला भागीदारी तथा झारखंडी मीडिया विशेषकर झारखंड के भाषाई अखबारों में महिलाओं की छवि के आलेखन, अध्य्यन एवं विश्लेषण का प्रयास करती है।

झारखंड महिला आलेखन, संदर्भ व मीडिया वाच का मुख्य कार्य राज्य में मौजूद विभिन्न राजनीतिक, गैर राजनीतिक एवं स्वैच्छिक महिला संगठनों, राज्य स्तरीय महिला मंचों एवं नेट्वर्किंग को अपने अध्ययन, आलेखन, संदर्भ और मीडिया विश्लेषण करते हुए इसके द्वारा उन्हें और अधिक व्यापक, प्रभावी एवं मजबूत बनाने के प्रयास में संलग्न है।

झारखंड महिला आलेखन, संदर्भ व मीडिया वाच का फोकस मुख्यतः चार बिंदुओं पर है - 1. मीडिया में देशज एवं आदिवासी महिलाएं, 2. झारखंड आंदोलन के इतिहास में महिलाएं, 3. साहित्य में देशज एवं आदिवासी महिलाएं और समाज के विभिन्न आयामों में महिलाओं का लीडरशिप।

देशज एवं आदिवासी
महिलाएं और मीडिया

Indigenous Women and Media

मीडिया में महिलाएं

वे यहां क्यों नहीं हैं और यदि हैं तो किस हाल में हैं?

इतिहास में महिलाएं

आखिर इतिहास इतना एकपक्षीय क्यों है?

साहित्य में महिलाएं

कौन लिखता है सिर्फ महिला अवमानना और स्त्री हिंसा की कहानियां?

लीडरशिप में महिलाएं

हर सफलता के पीछे एक औरत, किसने गढ़ा है यह मिथ?

तथ्य और आंकड़ें

Adivasi Women and Media

मीडिया में महिलाएं

झारखंड के व्यावसायिक मीडिया घरानों द्वारा संचालित अखबार, टीवी चैनल्स और रेडियो में आदिवासी महिलाएं नहीं के बराबर हैं। सिर्फ सरकारी रेडियो और टेलिविजन में कुछ को नौकरी मिली है जिनकी संख्या 10 से कम है।

Adivasi Women and Literature

इतिहास में महिलाएं

झारखंड के इतिहास में महिलाओं की भूमिका हमेशा अग्रणी रही है। सिनगी दई, फूलो व झानो मुर्मू, माकी मुंडा, देवमनी भगत, एंजेलिना तिग्गा जैसी अनेक आदिवासी महिलाएं यहां हुई हैं जिनके वीरतापूर्ण कारनामें पुरखा गीतों में दर्ज हैं।

Adivasi Women and History

साहित्य में महिलाएं

लेखन और साहित्य के क्षेत्र में झारखंड की आदिवासी महिलाएं 30 के दशक से ही सक्रिय हैं। जो लेख, कहानियां, कविताएं लिखती थीं और अपने बलबूते पत्र-पत्रिकाएं निकालती थीं। इनमें सुशीला सामद, एलिस एक्का प्रमुख नाम हैं।