Pyara Kerketta Foundation

जयपाल-जुलियुस-हन्ना साहित्य पुरस्कार 2022 के विजेता

पुरस्कृत पांडुलिपियों और उनके लेखकों का परिचय.

Ujjwala Jyoti Tigga

उज्जवला ज्योति तिग्गा

इनका जन्म 17 फरवरी 1960 को दिल्ली में हुआ। इनके पिता चीरस तिग्गा मूल रूप से भंडरिया, गढ़वा (झारखंड) के रहने वाले हैं लेकिन कृषि मंत्रालय में नौकरी मिलने के बाद अगस्त 1959 से दिल्ली में ही बस गए हैं। मैट्रिक पास इनकी मां काली तिग्गा दारूटोली, गुमला की रहने वाली थी। स्मृतिशेष उज्जवला की प्रारंभिक शिक्षा केंद्रीय विद्यालय दिल्ली (1976) से संपन्न हुई। 1979 में उन्होंने जीसस एंड मेरी कॉलेज, चाणक्यपुरी दिल्ली से राजनीतिशास्त्रा में स्नातक किया और 1981 में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय दिल्ली से राजनीतिशास्त्रा में ही स्नातकोत्तर की शिक्षा पूरी की। 1983 में दिल्ली स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद में अनुभाग अधिकारी के पद पर इन्होंने अपनी दूसरी नौकरी की और अंत तक वहीं कार्यरत रहीं। 19 अप्रैल 2022 को असमय उनका निधन हो गया।

Dharati Ke Anam Yodhha

धरती के अनाम योद्धा

उज्ज्वला ज्योति तिग्गा के पास काव्यात्मक मुहावरें हैं और उसे अभिव्यक्त करने का सधा, संवरा अंदाज भी। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह कि सोचने-समझने और उसे अभिव्यक्त करने का उनका हुनर अलहदा है। इनकी कविताएं यथास्थितिवाद और एकाधिकार जमाए गिरोह की मंशा को टारगेट करती है और यह एकाधिकार टूटे इसके लिए वह अपनी कविताओं से एक उम्मीद की रौशनी पैदा करती हैं। देश में व्याप्त सामाजिक विषमता को अपनी कई कविताओं में अलग-अलग तेवरोें के साथ चोट करती हैं। कहीं सवाल के रूप में दर्ज करती र्हुइं तो कहीं-कहीं सीधे-सीधे। इनकी कविताओं में स्थापित व्यवस्था और पारंपरिक नजरिए को तहस-नहस कर उसे नए दृष्टिकोण से व्याख्यायित करने की गजब की सलाहियत है। यह अकारण नहीं कि उजाले को वह अंधेरे से ज्यादा खतरनाक बतलाती हैं। आदिवासियत का यह विरल संयोग उनकी कविताओं को और से भिन्न साबित करता है।

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Sunil Polad Gayakwad

सुनील गायकवाड़

भील आदिवासी समुदाय के सुनील गायकवाड़ आदिवासी साहित्य के एक सुपरिचित हस्ताक्षर हैं। भीली और मराठी भाषा में अब तक इनकी अनेक काव्य कृतियाँ और कहानी की पुस्तकें प्रकाशित हैं पर हिंदी में छपने वाली यह पहली पुस्तक है। इनका जन्म 1 जून 1977 को माँ देवकी भील और पिता अप्पा भील के घर में हुआ। ये जिला जलगांव (महाराष्ट्र) के भवाली गाँव के रहने वाले हैं। पेशे से सरकारी स्कूल में अध्यापक हैं।  


Dakait Devasing Bhil Ke Bachche

डकैत देवसिंग भील के बच्चे

डकैत देवसिंग भील के बच्चे सुनील गायकवाड़ नका पहला हिंदी उपन्यास है। यह आत्मकथात्मक है जिसमें इन्होंने अपने दादा के जमाने से कहानी सुनानी शुरू की है, फिर मां-पिताजी और खुद की कहानी कहते हैं। मतलब, यह तीन पीढ़ियों की कहानी है। ब्रिटिश काल में खानदेश के आदिवासी भील क्रांतिकारियों को डाकू, चोर, उचक्का कहा जाता रहा है। इस लिहाज से यह उपन्यास महाराष्ट्र के खानदेशी भील आदिवासी समुदाय का प्रतिनिधित्व करती है। ये ब्रिटिश काल से लेकर आज के वर्तमान तक के बारे में बतानेवाला उपन्यास है, जो भीलों की संस्कृति, भाषा, जीवन और संघर्ष की महागाथा को प्रस्तुत करता है।

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Remon Longku

रेमोन लोंग्कु

रेमोन लोंग्कु का जन्म 6 जनवरी 1996 को तांग्सा (जुगली) समुदाय में हुआ है. इनकी माँ सुशीला लोंग्कु और पिता रेंग्नोंग लोंग्कु हैं. इनका जन्म स्थान चांगलांग (अरुणाचल प्रदेश) जिला स्थित कुथुंग गाँव है. ये राजीव गांधी विश्वविद्यालय, ईटानगर (अरुणाचल प्रदेश) से हिंदी में स्नातक और एम.फिल. हैं और वर्तमान में पूर्वोत्तर पर्वतीय विश्वविद्यालय शिलोंग (मेघालय) से पीएचडी कर रहे हैं. कोंग्कोंग-फांग्फांग: अरुणाचल के हेडहंटर्स की कहानियां इनकी पहली प्रकाशित कृति है. 

Kongkong-Fangfang

कोंग्कोंग-फांग्फांग: अरुणाचल के हेडहंटर्स की कहानियां

तांगसा आदिवासी समुदाय में आजतक अंग्रेजी, हिंदी या मातृभाषा में तांगसा आदिवासी साहित्य की रचना नहीं हुई है। इस दृष्टि से ‘कोंग्कोंग-फांग्फांगः अरुणाचल के हेडहंटर्स की कहानियाँ’ तांगसा आदिवासी समुदाय का हिंदी भाषा में प्रकाशित पहली मौलिक रचना और किताब है। प्रस्तुत कहानी संग्रह में पूर्वाेत्तर भारत के अरुणाचल प्रदेश की तीन जिलों- चांगलांग, लोंगदिंग और तिराप के आदिवासी समुदायों का दर्शन, संस्कृति और उनकी समकालीन समस्याओं का बड़ा ही प्रभावी और जीवंत चित्राण हुआ है। संग्रह की कहानियाँ हमें उन समस्याओं से भी अवगत कराती हैं जिनसे वे लोग त्रास्त हैं और सरवाइवल के लिए जूझ रहे हैं।

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