पहली भारतीय आदिवासी आत्मकथा (1968-2018) के प्रकाशन के 50 साल पूरे होने पर हम रांची में 11 नवंबर 2018 को एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित कर रहे हैं। आप सभी सस्नेह आमंत्रित हैं।
इस आयोजन का उद्देश्य भारत की आदिवासी आत्मकथाओं और संस्मरणों से भारतीय और विश्व साहित्य को समृद्ध करना है। ध्यातव्य है कि पिछले दो दशकों के दौरान भारत में आत्मकथा साहित्य पर बहुत चर्चा हुई। खासकर स्त्री और दलित आत्मकथाओं पर। लेकिन इस साहित्यिक विमर्श में आदिवासी आत्मकथाओं पर कोई चर्चा नहीं हुई। जबकि भारतीय आदिवासी आत्मकथा लेखन का इतिहास 50 साल पुराना है। पहली आदिवासी आत्मकथा अंग्रेजी में 1968 में प्रकाशित हुई थी और तब से लेकर 2018 तक दर्जन भर से ज्यादा आदिवासी आत्मकथाएं विभिन्न भारतीय भाषाओं में (मुख्यतः अंग्रेजी और हिंदी में) प्रकाशित हो चुकी हैं। इसलिए यह जरूरी है कि आदिवासी आत्मकथा लेखन के इतिहास और उसकी विशिष्टता को साहित्य में रेखांकित किया जाए।
11
नवंबर, रविवार, 2018
उद्घाटन सत्र: 10.00 से 11.30
1. पुरखा स्मरण
2. स्वागत
3. आरंभिक वक्तव्य
4. बीज भाषण
5. अध्यक्षीय वक्तव्य
प्रथम सत्र: 11.45 से 1.30
आलेख/वक्तव्य:
1. भारत के आदिवासी आत्म संस्मरण
2. जंगल-पहाड़ से मैदान और समुद्र के बीच आदिवासी आत्म संस्मरण
3. उत्तर-पूर्व का आदिवासी आत्म संस्मरण
4. एक आदिवासी एक्टिविस्ट की आत्मगाथा
लंच: 1.30 से 2.30
द्वितीय सत्र: 2.45 से 5.00
आलेख/वक्तव्य:
1. आदिवासी बिटविन मेमोयर एंड बायोग्राफी
2. आदिवासी संस्मरण: मैदान के बाहर और भीतर
3. आदिवासी कलाकारों के आत्म संस्मरण
4. भारत के आदिवासियों का राजनीतिक आत्म संस्मरण
This unique program is going to start from January 2019. It will be a monthly program in which we will first read some selected pieces of an old book and a new book and discuss it together. The aim of the program is to create an atmosphere of enthusiasm in Adivasi society towards reading habit of books, libraries, literature and literary criticism.
Mainly this is a three-day Adivasi Film Festival where we will screening selected films made by Adivasis. Mainly it is a three-day Indigenous film festival program centered on Adivasi visual stories (cinema) in which we will screening some of the selected Adivasi films. As a cultural act, it will be an annual festival of Adivasi films that defend humanity, advocates for the Adivasi creation, struggle and rights, and denounce the human rights violations.
Internet is the most popular and widely accessible medium in terms of transactions, expansions and collections of information. Due to the device like mobile now it has already become more effective, and it has become a habit of every human's habit. But there is a lack of accurate and factual information, data, information and photos related to Indian Adivasis on the internet. Those who are, they present very wrong, misleading, factual and stereotype racial images of the Adivasis. Therefore, it is necessary to update the information related to the Adivasis on the internet and provide as much and correct and factual information as possible. The concept of Adivasi Content Travelers program has been envisaged keeping in mind this important need. The aim of this program is to provide maximum representation of the Adivasi information and the information available on the internet (like wikipedia, youtube and other social media) with the help of the community.